Thursday 18 October 2018

मुखौटा

मुखौटा






सहमी सी हैं धड़कने किसी की ,

चकाचोंध है ज़िन्दगी किसी की ,

कैमरे की बात है सब ,

वरना एक जैसी है ज़िन्दगी हर किसी की,




किसी को रातोंरात चमका देगा ,

किसी को एक पल में गिरा देगा,

ये कैमरे की दुनिया है साहब ,

ये एक कहानी को तोड़कर पूरी दुनिया हिला देगा




चेहरे पर चेहरा बसा पड़ा है ,

हर शब्द में कोई राज़ छिपा पड़ा है ,

इस राज़ को सुलझा लेते ,

लेकिन हर कदम पर केमरा खड़ा है




ये चेहरों के मुखौटे कोई उतार न ले ,

कोई अपनी ही आवाज़ पहचान न ले ,

खड़े कर दिए लाखों पहरे बस इस डर में,

कोई कैमरे के अस्तित्व को जान न ले 

                                                -हर्षवर्धन शर्मा




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