Wednesday, 12 December 2018

"रात अभी बाकी है"

"रात अभी बाकी है"



एक तरफ रात का सन्नाटा एक तरफ वो सुन्दर सी घटा,
चाँद के चारों तरफ सितारे थे,
 लेकिन चाँद छुप गया जब नकाब हटा


खुला आसमान और नदी थी बीच में,
एक किनारे मैं  एक किनारे वो और चांदनी थी बीच में,
थम गया था सारा जहाँ देख के एक हल्की सी मुस्कान,
जैसे नूर बैठा हो उन काली फ़िज़ाओं मेंं


उसकी खूबसूरती के सामने सब सादा सा लगा ,

चाँद उस दिन पूरा था पर आधा लगा,

मैं खो गया था उस पल में ,

उस रात मुझे वो पल भी अधूरा सा लगा


चाँद की खूबसूरती को छुने की तमन्ना थी ,

इसकी हमें सज़ा तो मिलनी थी ,

ख्वाब देखा था , चाहा सच हो जाये ,



पर जनाब रात अभी बाकी थी .....





-हर्षवर्धन शर्मा


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