Wednesday, 19 December 2018

कौन है मदारी यहाँ कौन है जमूरा

कौन है मदारी यहाँ कौन है जमूरा







कुर्सी पर एक 'मौन' को बैठाया, 
उसे समझ बैठा मैं बादशाह, 
पर कुछ दिनों बाद दुःख हुआ ,
देख के उसकी दुर्दशा


सेवा का वादा करके, 
वो खुद मेवा खा गया , 
राजा वो खुद बना , 
मुझे प्यादा बना गया


मत भडक मेरे दिल , 
यूँ खुद पे न गुर्रा, 
तू ही था नासमझ ,
 जो उसे दे दिया तुर्रा


जनता ही राजा प्रजा, 
मदारी और जमूरा, 
ये देश है स्वतंत्र, 
ये मुल्क है कंगूरा


मुझको ही पूरा करना है , 
काम अधूरा, 
अब कोई पी के ना झूमे ,
सत्ता का धतूरा



फिर से जब जंग छिड़ी, 
सब को हो गया देश ये प्यारा, 
अब कैसे पता चलेगा , 
कौन है मदारी यहाँ कौन है जमूरा

-हर्षवर्धन शर्मा
  "सत्यमेव जयते" ©










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