Monday, 16 April 2018

एक निर्भया और

एक निर्भया और




आज देश के कानों में, 
जब उसकी सिसकियाँ सुनाई दे रही थी, 
तब एक और निर्भया , 
अपने  ही घर में बेघर पड़ी थी 
देखा ही क्या था अभी उसने , 
तब तक दरिंदों की हैवानियत उसे घेर पड़ी थी


माताओं का पूजन जहाँ प्रमुख त्योहार हुआ, 
वहीँ इसी माटी में न जाने कितनों का दामन तार-तार हुआ
कहीं दिन दहाड़े तो कहीं सरे बाजार,
 समाज में नारी का बस बहिस्कार हुआ ,

हाँ ये देश वही है......... , 
जहाँ माताओं का पूजन प्रमुख त्योहार हुआ


हर जगह एक चीख पूछ रही थी , 
आखिर गलती क्या उसने करी थी
वो बच्ची जाते जाते एक सवाल पूछ गयी 
क्योँ उसे ये सजा भुगतनी पड़ी थी 


शायद इस अपराध की ताकत इतनी न बड़ी होती, चुप न रहकर आवाज़ हमने बुलंद करि , 
तो शायद देख कर गुनहगारों को फांसी में, 
उसकी आत्मा आज शांति से हमारे बीच होती 
   

एक पुकार वो करती रही , 
जो उसके साथ हुआ , 
वो किसी को भूलने न देना , 
फिर किसी के परिवार से उनकी पारी को छीनने न देना 


सहे न  ये अत्याचार  दुबारा  कोई ,
 ऐसी  उसकी ख्वाहिश थी , 
पता नहीं फिर क्यों इस बार भी,
 बुराई अच्छाई से जीती थी 


क्या गलती उसने करी थी , किस बात की उसे सजा मिली थी..!!!!

-Harshvardhan Sharma



9 comments:

  1. Bhot sahi ,siyasat ka nanga naach dikhna chahiye

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  2. Nice. Social problems with human. Especially women's. The real creater,MAA. ------No can takes the place of maa. Good efforts.

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  3. Government should hang those bloody bastards
    Every girl must have there freedom
    Nice po em buddy .. Nailed it

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  4. Really heart touching.....

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