एक निर्भया और
आज देश के कानों में,
जब उसकी सिसकियाँ सुनाई दे रही थी,
तब एक और निर्भया ,
अपने ही घर में बेघर पड़ी थी
देखा ही क्या था अभी उसने ,
तब तक दरिंदों की हैवानियत उसे घेर पड़ी थी
माताओं का पूजन जहाँ प्रमुख त्योहार हुआ,
वहीँ इसी माटी में न जाने कितनों का दामन तार-तार हुआ
कहीं दिन दहाड़े तो कहीं सरे बाजार,
समाज में नारी का बस बहिस्कार हुआ ,
हाँ ये देश वही है......... ,
जहाँ माताओं का पूजन प्रमुख त्योहार हुआ
हर जगह एक चीख पूछ रही थी ,
आखिर गलती क्या उसने करी थी
वो बच्ची जाते जाते एक सवाल पूछ गयी
क्योँ उसे ये सजा भुगतनी पड़ी थी
शायद इस अपराध की ताकत इतनी न बड़ी होती, चुप न रहकर आवाज़ हमने बुलंद करि ,
तो शायद देख कर गुनहगारों को फांसी में,
उसकी आत्मा आज शांति से हमारे बीच होती
एक पुकार वो करती रही ,
जो उसके साथ हुआ ,
वो किसी को भूलने न देना ,
फिर किसी के परिवार से उनकी पारी को छीनने न देना
सहे न ये अत्याचार दुबारा कोई ,
ऐसी उसकी ख्वाहिश थी ,
पता नहीं फिर क्यों इस बार भी,
बुराई अच्छाई से जीती थी
क्या गलती उसने करी थी , किस बात की उसे सजा मिली थी..!!!!
-Harshvardhan Sharma
Bhot sahi ,siyasat ka nanga naach dikhna chahiye
ReplyDeleteNice. Social problems with human. Especially women's. The real creater,MAA. ------No can takes the place of maa. Good efforts.
ReplyDeleteNice bhai....
ReplyDeleteGud job bhai.. ��
ReplyDeleteGud job bhai
ReplyDeleteGovernment should hang those bloody bastards
ReplyDeleteEvery girl must have there freedom
Nice po em buddy .. Nailed it
badiya
ReplyDeleteReally heart touching.....
ReplyDeletenice veere
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