लोग छोटी-छोटी बात में करने लगे हैं भारत बंद
जानती है जनता किसकी कैैसी है मनसा,
और किसने फैलाई है ऐसी गंद
बेवकूफों ने कान भरे ,
बोला जा के हुड दंग करो ,
ज़ेहर हवाओं में फैला दो ,
जाओ भारत बंद करो
आ गये चंद बुद्धिमान सड़क पे ,
गीदड़ की तरह चिल्लाते हैं ,
शोर बड़ा भरी है ,
इनका हुक्का पानी बंद करो
जानती है जनता ,
ये किस प्रकार की बेचैनी है ,
पहाड़ टूटा है नोटों का ,
फिर हर बात क्या कहनी है
ओछी राजनीती का चक्रव्युह है,
यहाँ कान ज़ेहर से भर देते हैं ,
नेता सब हैं मक्कार यहाँ पर ,
तबियत इनकी चंगी करो,
है हिम्मत तो आओ बिना नोटों के भारत बंद करो
भ्रम में है कुछ जनता आंदोलन से भारत बंद करेंगे,
हर बार नही होता नोटों से काम यहाँ पर
कभी - कभी दिमाग भी लगाना पड़ता है ,
अरे! बड़ी मुश्किल से तो देश खुला है ,
तुम कहते हो बंद करो!!!......
अरे! बड़ी मुश्किल से तो देश खुला है ,
तुम कहते हो बंद करो!!!......
-Harshvardhan Sharma
Waah...
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteThanks
DeleteGreat topic 4 poem.. I lk it
ReplyDeleteThanks @mohit bhai
DeletePhir har baat kya khni hai...
ReplyDeleteYe wala bhut kimti ser tha...
.
Cha gya ...bro.
Thanks @pratul
Deleteलाजबाव। its real one.
ReplyDeleteArre gazab kavi sahab !!
ReplyDeleteThanks @anonymous
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