Monday, 9 April 2018

आखरी ख़त

आखरी ख़त 



ये आखरी ख़त है मेरा, 
'माँ' तेरे रखवालों के लिए,
 सोचता हूँ पढ़ के ये खत मेरा , 
बढ़ जायेंगे देशभक्त तेरी रक्षा के लिए


किसी रोज़ - किसी पल,
 हम दुश्मन की कफ़न सजायेंगे,
 सर धड़ से अलग कर देंगे उनका , 
'माँ' तेरे लिए हम क़ुर्बान भी हो जायेंगे


मुझे पता है घर पर मेरी माँ,
 आशा लगाए बैठी होगी,
पूजा की थाल लिए और 
ममता की गोद सजाये बैठी होगी,
 छोटी बहन भी वहीं कहीं किसी कोने में, 
हाथ में राखी लिए खड़ी होगी
मालूम है मुझे घर पर ,
 हर किरण मेरे वापस आने की उम्मीद लगाए बैठी होगी !

पड़ के खबर शहादत की मेरे ,
पिताजी जब भारी मन् से घर धीर-धीरे आएंगे, 
और  माँ को मेरी खबर सुनायेंगे
गुज़ारिश करता हूँ हवाओं से ,
 बस माँ को इतना समझा देना, 
बेटा था उनका वीर बहुत, 
बस इतना उनको बतला देना
तब शान से माँ के आँसू भी किसी कोने में छिप जायेंगे,
 दिल में होगा बेटे को खोने का दर्द बहुत,
 पर जुबान तक वो न आएगा

लेकर पूनर्जन्म माँ फिर से तेरी आँचल में आऊंगा, 
इस जन्म में तो नही पर अगले जन्म में सही, 
बहन तेरे राखी के हर वचन को निभाऊँगा


चलो चलता हूँ अब जाने का समय आ गया,
 देश की रक्षा के लिए भारत माँ का बुलावा आ गया, 
कसम है मुझे तिरंगे की कभी इसको न झुकने दूंगा , 
इन देश की हवाओं का रुख कभी न बदलने दूंगा

सपना था जो बचपन का ,
 वो आज पूरा हो जायेगा,
 जब तिरंगे से लपेट कर ,
 मेरा तन लाया जायेगा



-Harshvardhan Sharma

ये खत है एक वीर जवान का जो उसने अपनी जंग से पहले लिखा |उसने ये खत अपने घर वालों के लिए लिखा है और बताया है कि उसे अपनी शहादत से कोई ऐतराज़ नहीं है बल्कि उसे गर्व है की उसने अपने देश की रक्षा के लिए खुद को समर्पित कर दिया 

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 धन्यवाद


7 comments:

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