आँसू या बहता पानी
बारिश दरिया सागर ओस या ,
आसूँ पहला पानी है
कैसे एक बूँद ने मुझे डुबोया
बस ये पहेली सुलझानी है
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
एक ही सकल पर हज़ारों मुखोटे इस ज़माने के हैं
आती है शून्य छितिज़ से ये आवाज़ टकरा के
सुना जाती है बिछडी यादें,
और आँसुओं को बिखरा के
दुनिया का रंग क्या है
कोई पानी से पूछे
और यहाँ हर शख्स की नीयत में क्या है ,
कोई आंसुओं से पूछे
बहती है वैसे तो नदियाँ हज़ारों
क्या उन्हें रुकते देखा है?
क्या कभी किसी ने
आँसुओं को बहने से रोका है!!!!
चलते चलते इस सफर में ये जाना की
ये एहसाँसों की कहानी है
कोई समझता मोती " है आंसू "
तो कोई समझता बस बहता "पानी है"
ढूंढते फिरते हैं सुकूं शोर भरे गलियारों में
उन्हें कहाँ इल्म है इसका जनाब
असली सुख तो है बारिश की बौछारों में |
Very nice
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