Monday, 26 November 2018

एक दशक पहले- 26/11

एक दशक पहले




एक दशक पहले कुछ दिल दहलाने वाले नज़ारे देखे थे ,
महाराणा और नानक की धरती पर ,
 शहीदों की मातृभूमि पर,
ख़ौफ़ और दहसत के नज़ारे देखे थे,



मैं जब भी देखता हूँ सूनी हुई मांगे ,
सहमे से बच्चों के हैरां चेहरे ,
कांपते होंठों पे खामोशियाँ , भीगी हुई पलकें,
लरज जाता है शरीर आज भी ,
सोच के अपने लोगों की चीखें,



 उन दरिंदों ने मेरे ही लोगों के खून से ,
मेरे ही शेरो को रंगा है ,
ये वही लोग हैं जिनके होने से इंसानियत की निंदा है ,
 मेरे लोगों की जो ख़्वाहिशें हैं मेरी भी वही तमन्ना है ,



उनकी हर साजिश को नाकाम देखूं मैं ,
जो हाल होना चाहिए उनका वही अंजाम देखूं मैं ,
जिनके शरीर में भेड़ियों का खून बहता हो ,
बस हर रोज़ उनकी मौत का पैगाम देखूं मैं.



-'हर्षवर्धन शर्मा'



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