पिता
पिता के संस्कारों की छड़ी ,
किसी सीख से कम नहीं ,
उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट ,
चाँद की रौशनी से कम नहीं ,
मैं चाहे कुछ भी बन जाऊं पर
मेरी कीमत उनकी इज़्ज़त के आगे कुछ भी नहीं ,
बचपन में
मैं सोचता था की उनके फैसले बड़े कड़े होते हैं ,
पर उन्ही कड़े फैसलों से
हम अपने पैरों पर खड़े होते हैं ,
छोटी - छोटी ऊँगली पकड़ कर
चलना उन्होंने मुझे सिखाया था,
जीवन के हर पहलू को
अपने अनुभव से मुझे बताया था
मेरी हर जिद को पूरा करने में,
आपने अपना चैन गवाया था
मेरे भविष्य को लेकर चिंता में,
जो आपने अपना पसीना बहाया था ,
हर मुश्किल से डट कर सामना करना
आपने ही तो सिखाया था ,
जब महसूस किया मैंने "माँ" के समान दिल आपका सच बताऊँ उस वक्त मैं पिता को समझ पाया था
शब्दों का अम्बार खत्म हो जाता है ,
ऐसे शख्सियत को बयां करने में,
नसीब मिला अगर मुझे अगले जन्म में,
तो दुबारा खेलना चाहूंगा आपके
उन्ही कन्धों में...|
-Harshvardhan Sharma
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Very nice keep it up .
ReplyDeleteNice line....
ReplyDeleteThanks
DeleteBhut ghub likh gaye sir .. dil khus
ReplyDeleteDhanyvaad bhaishab
DeleteHeart touching god bless you .keep it up .
ReplyDeleteThanku
Deleteअति सुन्दर कविता हदय को छूने वाली ।
ReplyDeleteMarbles,fantastic,
ReplyDeleteEmotional respectful. Relationship between parents and children formed by great almighty. Great auspicious gift on this special occasion by you. My good & cheering wishes always with you for your infinite progress. May GOD Bless you& give you all smiles of life.
ReplyDeleteThanku so much
DeleteReally heart touching lines❤❤
ReplyDeleteThanku
DeleteV.good .
ReplyDeleteNice efforts brother
ReplyDeleteNice efforts brother
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