एक रात हसीं ख्वाब के साथ
सन्नाटा था चारों तरफ,
नदी मे तारों का पहरा था,
एक तरफ नदी की आवाज़ थी,
तो दूसरी तरफ चाँद का हसीन चेहरा था
तारों से ढका आसमान ,
अँधेरे में भी उजाला भर रहा था,
वो रात में फूलों का महकना
अंधकार को भी मोहित कर रहा था
रात में नदी किनारे बैठना,
खुद से यूँ ही बाते करते रहना,
उस सन्नाटे में कल के सपने सजाना,
बस यही चाहता है मन यही सब करते रहना
खुद से यूँ ही बाते करते रहना,
उस सन्नाटे में कल के सपने सजाना,
बस यही चाहता है मन यही सब करते रहना
रात के इस सफर में,
कुछ अलग सा ही मजा था,
बचपन से ये चाह थी,
इस सफर मे खो जाना बस यही एक सपना था
-Harsh Sharma
Wawa wah....good keep it up....👌👍
ReplyDeleteThanks
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ReplyDeleteYou sound to be a secret lover with poetic essence.. liked the way you used simple looking words with beautiful meaning....I look forward to your writing.
Thanks a lot for your lovely comment dear hope you also like my upcoming poems also I need support from readers like you thanks to all my readers and their amazing support
DeleteVery nice composition..keep it up
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteAwesome dear...
ReplyDeleteKeep it continue..