वक़्त ने ठानी है!!!
कुछ इस तरह नज़र लगी ,
उजियारे में भी अंधेरा छा गया
की हरी घास में शबनम अभी बची थी,
एक तिनका ऐसा जला पूरे संसार में हलचल मचा गया
एक एक कण में जो ,
हमने गंदगी फैलाई थी
कुछ इस तरह रुख बदला हवाओ ने ,
जैसे मनुष्यों से इनकी कई जन्मों से लड़ाई थी
जो करते थे राज़ पूरे जगत में
वो खुद आज पिंजरे में कैद हो गए,
और जिन बेजुबानो को घर से दूर किया था,
वो आज खुले आसमान तले मुस्तैद हो गए
तो हालात कुछ इस तरह है,
हम बेचैनी के समुन्दर किनारे बैठे हैं,
खुशियों की कश्तियों का इंतज़ार है ,
अब तो बस उम्मीद भरी आँखें लिये बैठे हैं
ये मौका मिला है खूबसूरत ,
परिवार के संग बिताने का,
यही तो वक़्त है अपना,
घर बैठ कर दुनिया के लिए कुछ कर जाने का ..
Commendable bhai ❤️
ReplyDeleteThank you 😊
Delete👌👌
ReplyDelete😊
Delete👌👌
ReplyDelete����
ReplyDelete😊
ReplyDeleteSo nice
ReplyDeleteVery nice.👍
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