Wednesday 8 January 2020

युद्ध जारी है

युद्ध जारी है 

रंग दूध का लाल हो गया , 
पंछियों में भी बैर हो गया ,
 बैठे थे चार - यार चबूतरे के बीच, 
उनके भेद में भी अभेद हो गया 


हवाओं में महक रहा बारूद यहाँ ,
 खेतों में गन्दी नसल पनप रही , 
बैठे नदी किनारे ये सब दिख रहा यहाँ , 
देखो !!!  खुद नदी आज लाल रंग में बह रही 


अपनों से ही द्वंद्व छिड़ा है , 
नफरतों का ये कैसा छन्द भिड़ा है, 
धर्मो का कोई दोष नहीं , 
ये इंसानियत में गन्दा मुद्दा खड़ा है 


शहीद की गिनती में देश को बाट रहे , 
अपने वतन को छोड़ पराये मुल्क में अपनापन छांट रहे ,
 किसी को इस मिटटी से दिक्कत है , 
वो सब इस मिटटी से आज अपनापन झाड़ रहे 


सुनने की क्षमता बची नही ,
 सब सुपर्द - ए - खाक हो गयी
 इंसानियत धर्म का गला घोट रही 
..एकता की कहानियां सब राख हो गयी  .

-हर्षवर्धन शर्मा





15 comments:

मजबूर : मजदूर ( A fight of Corona migrants )

मजबूर : मजदूर छोड़ के गावं के घर  जिस तरह शहर आये थे हम  आज कुछ उसी तरह  वैसे ही वापिस जा रहे हैं हम  बस फर्क इतना है ...