Wednesday 21 February 2018

तलाश

तलाश


कभी खोज करी है खुद की तुमने, 
उन घने बादलों की बारिशों मे?

 कभी ढूंढा है खुद को तुमने, 
उन सुनसान भरी सड़कों में?


देखा है कभी खुद को तुमने,
 उन आईनों की परतों में?
 महसूस किया है कभी खुद को तुमने, 
उन दरख्तों के आशियानों में? 


कोशिश करना "न" देख सको तुम खुद को,
 "काफिरों" के संसार में
 कोशिश करना "खोज"सको खुद को तुम ,
 "इंसानों" के बाजार में,


जब दूंढ  लोगे खुद का वजूद तुम, 
एक नया संसार तुम्हें मिल जायेगा, 
फिर तलाशना. आईने में खुद को , 
तुमको तुम में ही नया चेहरा मिल जायेगा

            -Harshvardhan Sharma


इस मतलबी दुनिया में हम सभी अपनी कहीं न कहीं पहचान खो देते हैं फिर खुद को ही अपना क़सूरवार समझ कर हम अपने ही लोगों से मुँह मोड़ लेते हैं फिर यही कहीं रिश्तों में खट्टास पैदा कर देती है बस यही अनुरोध है मेरा लोगों से जैसे भी परेशानी हो उसे अपने परिवार के साथ साझा करें और
हो सके तो पहले खुद को पहचाने क्यूंकि कभी कभी परिस्थियाँ भी अलग अलग होते हैं और आप भी गलत हो सकते हैं इसलिए खुद को सुधारें

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