कश्मीर : एक मुद्दा
एक रोज़ कहीं से ,
एक खबर आ गयी,
कश्मीर मे जवानों की शहादत,
वो रोते- रोते बता गयी
उनके सीने पे लगी हर एक गोली,
मेरे दिल को चीरते हुए निकली,
उनके हर एक रक्त का कतरा,
मेरे आंसुओं के रूप मे निकाला
पूरा देश जवानो के शौर्य को ,
सरहाते हुए मौन था,
अचानक कहीं से एक पत्थर,
मेरे सीने पे आ लगा
लहू-लुहान कर दिया
मेरे देश को उस पत्थर ने,
आतंकियों की भी मदद करी,
उसी पत्थर ने
मेरी कलम रो पड़ी, मेरा मन काँप उठा,
जवानो पे लगा हर एक पत्थर का टुकड़ा,
हिंदुस्ताँ की जहाँ में तौहिन कर पडा
उम्मीद है सब ठीक हो जायेगा
जवान, कश्मीर मे सुरक्षित रह पायेगा
निर्भय. निडर वो
कश्मीर मे स्वतंत्र सांस ले पायेगा
-Harsh Sharma
""मेरे चाँद""
ReplyDeleteऐ चाँद , तेरी इस
शीतलता का ..
आज रात क्या
बखान करूँ..।
ओस की चाहत हो जैसे..
रेशम पर बिखरा करूँ.।
फिर शीतल तेज छलनी से होकर..
उसके लबों पर ठहरा करें....
नजरें उसकी ,छनकर मेरी
नजरों से कुछ कहा करें..।
छलनी से आते जाते ,
स्पर्श का क्या बखान करूँ...।
ऐ चाँद तेरी.............
....................................।
तेरे प्रेम की इठलाती ..
काया का श्रंगार करें.
ख्वाहिशें लेकर आया चाँद.
उम्र भर ठहरा करें....।
फिर ठहरी ओंस की बूँदो से.
तेरे लब सींचा करूँ.....।
ऐ चाँद, तेरी इस
शीतलता का....
आज रात क्या ..
बखान करूँ..।
ओंस की चाहत हो
जैसे रेशम पर..
बिखरा करूँ.....।
करवा चौथ स्पेशल
# प्रतुल बिष्ट...
""मेरे चाँद""
ReplyDeleteऐ चाँद , तेरी इस
शीतलता का ..
आज रात क्या
बखान करूँ..।
ओस की चाहत हो जैसे..
रेशम पर बिखरा करूँ.।
फिर शीतल तेज छलनी से होकर..
उसके लबों पर ठहरा करें....
नजरें उसकी ,छनकर मेरी
नजरों से कुछ कहा करें..।
छलनी से आते जाते ,
स्पर्श का क्या बखान करूँ...।
ऐ चाँद तेरी.............
....................................।
तेरे प्रेम की इठलाती ..
काया का श्रंगार करें.
ख्वाहिशें लेकर आया चाँद.
उम्र भर ठहरा करें....।
फिर ठहरी ओंस की बूँदो से.
तेरे लब सींचा करूँ.....।
ऐ चाँद, तेरी इस
शीतलता का....
आज रात क्या ..
बखान करूँ..।
ओंस की चाहत हो
जैसे रेशम पर..
बिखरा करूँ.....।
करवा चौथ स्पेशल
# प्रतुल बिष्ट...