Friday, 5 January 2018

फरमान : राजनीति का

फरमान : राजनीति का




राजनीति की दुनिया से निकला एक फरमान,
सुनो सुनो ध्यान से खड़े करके अपने कान,

(सरकारें कहती है अपनी -अपनी पार्टी से)

काम चाहे कुछ भी न हो,
पर पूरा हो हमारा आसमान


वन्दे मातरम नही हमने तो,
धंधे मातरम के नारे लगाने हैं,
चाहे जैसे भी हो जनता से हमने तो,
देश हित कह के पैसे निकलवाने हैं,


विकास विकास के नारे लगा के ,
हम जनता को झूठे सपने दिखा देंगे 
बस ऐसे ही करके हम उनसे बड़े प्यार से,
उनके ही पैसे निकलवा लेंगे,


फिर आयेंगे आराम से हम 5 साल बाद,
करके कुछ उलटे पुलटे काम,
खेलेंगे अदला - बदली के खेल,
और फिर आ जायेंगे सत्ता में ले के अपना गन्दा नाम

                            -HarshV. Sharma

हर पल बदलती हर पल नए मोड़ पर आ जाती कुछ ऐसे ही है राजनीती देश का सबसे गंदा कीचड़
राजनीती ही है 
यहाँ कोई सच नहीं बोलता सभी को यहाँ अपने पैसे दे मतलब है हर वक़्त झूठ का सहारा लेकर यहाँ नेता अपनी कुर्सी हासिल करते हैं फिर उसी कुर्सी में बैठ कर ये लोग धन्धे करते हैं ये कविता भी उसी दृश्य की ध्यान में रख कर बनायी गयी है 

1 comment:

मजबूर : मजदूर ( A fight of Corona migrants )

मजबूर : मजदूर छोड़ के गावं के घर  जिस तरह शहर आये थे हम  आज कुछ उसी तरह  वैसे ही वापिस जा रहे हैं हम  बस फर्क इतना है ...