मेरा रब ???
वो निकला रब को ढूढने,
गीता और कुरान मे,
उसे कहाँ मिलता उसका रब,
उन धर्म की किताबों मे
वो खो चूका था ईमान अपना,
संसार के बुने इस जाल मे,
वो बेच चूका था धर्म अपना,
मस्जिद और मंदिर मे,
उसे तो शुरू से "जात" का,
पाठ रटना सिखा दिया
उसे बचपन से "रोटी" में,
मजहब ढूढ़ना सिखा दिया
आखिर में,
उसे किताबों मे न ईमान मिला,
न मिला उसे कोई भी ज्ञान,
कहाँ ढूंढ पाता वो अपने खुदा को ,
उसे तो इंसान में इंसान न मिला
- Harshvardhan sharma
Excellent
ReplyDeleteGood one
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