Monday, 1 May 2017

JOURNEY:- Of A HUMAN




आँखों में सपने लिए,
हम चले नए मकाम पर,
कांटे भी मिलेंगे ये सोचा न था इस राह पर



जिंदगी बड़ी मुश्किल है , 
जिंदा रहने के लिए,
इस टेडी मेडी राह पर,
दर्द बहुत है सहने के लिए ,



छांव भी मिलेगी यह सोचा न था,
इस कड़कती धुप में
चारों तरफ़ हम पर उठेगी ऊँगली ये सोचा न था,
इस दुःख भरे जहाँ  में


छोटी -छोटी ख्वाहिशें लिए 
हम चले नए सफर में,
हर भी मिलेगी ये सोचा न था ,
इस जलते जहाँ में




1 comment:

मजबूर : मजदूर ( A fight of Corona migrants )

मजबूर : मजदूर छोड़ के गावं के घर  जिस तरह शहर आये थे हम  आज कुछ उसी तरह  वैसे ही वापिस जा रहे हैं हम  बस फर्क इतना है ...